आधुनिक विश्व में स्वास्थ्य समस्या और मानसिक विकार
आधुनिक विश्व में स्वास्थ्य समस्या सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आ रही है। एक ओर जहाँ जीवन शैली से संबंधित बीमारियों ने अपना मकड़जाल तेजी से फैलाना शुरू किया है, वहीं दूसरी ओर दुनिया में मानसिक रोगियों की संख्या में तेजी से इज़ाफ़ा हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आँकड़े सामने रखे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दुनिया की सात में से एक आबादी यानी एक अरब से अधिक लोग मानसिक बीमारियों से ग्रस्त थे। इनमें से दो-तिहाई मामले चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) से संबंधित थे। युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति भी मुख्यतः अवसाद के कारण है। आँकड़े बताते हैं कि हर आत्महत्या के पीछे लगभग 20 नाकाम कोशिशें होती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) और बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। अनुमान के अनुसार हर 200 में से एक वयस्क स्किज़ोफ्रेनिया और हर 150 में से एक बाइपोलर डिसऑर्डर की गिरफ्त में है।
क्या है स्किज़ोफ्रेनिया?
यह एक जटिल मानसिक विकार है, जो व्यक्ति की सोच, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है। मानसिक संचार में काम आने वाले रासायनिक संकेतों के असंतुलन के कारण यह विकार पैदा होता है। इससे प्रभावित व्यक्ति को मतिभ्रम (Hallucination) होता है, उसके मन में असंगत विचार आते हैं और उसका व्यवहार असामान्य हो जाता है।
अक्सर स्किज़ोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति इस बीमारी के लक्षण पहचान ही नहीं पाता, जिससे इलाज न होने पर उसकी समस्या और बढ़ जाती है। इसके मुख्य लक्षण हैं –
वास्तविकता से अलग धारणाएँ पैदा होना (आवाज़ सुनना, अजीब चीजें देखना या गंध महसूस करना)।
सोच का अव्यवस्थित होना, असंगत विचार आना और बातचीत में कठिनाई।
आनंद या सुख की भावनाओं में कमी आना।
सामाजिक संपर्क और गतिविधियों से दूरी बनाना।
किशोरों में लक्षण
वयस्कों की तुलना में किशोरों में इसके लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं, जैसे –
शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट।
दोस्तों और सामाजिक गतिविधियों से बचना।
अजीब या असामान्य व्यवहार।
प्रेरणा और ऊर्जा की कमी।
यह बीमारी व्यक्ति के दैनिक कार्यों में कठिनाई उत्पन्न करती है। शिक्षा और रोजगार से जुड़ी समस्याएँ सामने आती हैं। साथ ही अवसाद और चिंता इन्हें और घेर लेती है।
नियंत्रण के उपाय:
इस बीमारी को चिकित्सकीय परामर्श, दवाओं, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। मनोरंजक नशों और मादक पदार्थों के सेवन से यह बीमारी और बढ़ जाती है।
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर?
यह एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति के मूड में अत्यधिक उतार-चढ़ाव आते हैं। ऐसे लोग या तो अत्यधिक ऊर्जा महसूस करते हैं या फिर बहुत थकान और ऊर्जा की कमी का अनुभव करते हैं।
लक्षण
नींद की कमी।
किसी भी चीज़ में रुचि का खत्म होना।
आत्मघाती विचार आना।
सोने और खाने के समय का असंतुलन।
बिना कारण खुद को बेकार या दोषी मानना।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोग कभी-कभी आत्महत्या का प्रयास भी करते हैं।
मानसिक बीमारियाँ विश्व स्तर पर, भारत सहित, सभी देशों में तेज़ी से फैल रही हैं। यदि इस समस्या पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में इसके भयंकर परिणाम सामने आ सकते हैं।
WHO प्रमुख डॉ. टेड्रॉस एडनोम घेब्रेयसस ने कहा –
"मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बदलना आज दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। हर सरकार की जिम्मेदारी है कि मानसिक स्वास्थ्य को विशेषाधिकार नहीं बल्कि एक बुनियादी अधिकार माना जाए।"
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते निवेश, बेहतर सेवाएँ और कानूनी सुधार नहीं किए गए तो मानसिक स्वास्थ्य संकट और गहराता जाएगा।
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