उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग हुआ हैरान, जानिए कहां से आ गये एक करोड़ संदिग्ध मतदाता




परिचय

देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में कुछ महीनों बाद पंचायत चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश सरकार चुनाव की तैयारी में जुट गई है। राज्य निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची में बड़ा झोलझाल मिला है। पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में एक–दो नहीं, बल्कि एक करोड़ से ज्यादा संदिग्ध मतदाता पाए गए हैं। अब राज्य निर्वाचन आयोग इन संदिग्ध मतदाताओं का सत्यापन कराएगा। सत्यापन में गलत पाए जाने पर इन मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा।

क्या है संदिग्धता का कारण

राज्य निर्वाचन आयोग ने जब मतदाता सूचियों की जांच शुरू करवाई, तब शुरुआती जांच में ही एक करोड़ से अधिक मतदाताओं के नाम, जाति, पते, लिंग और उम्र में काफी अंतर दिखाई दिया। इन विषमताओं के बाद मामला तूल पकड़ गया और निर्वाचन आयोग ने इन संदिग्ध मतदाताओं का सत्यापन करवाने का निर्णय लिया।

कैसी हुई शुरुआती जांच

संदिग्ध मतदाताओं का सत्यापन करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता ली। इस तकनीक से जो आंकड़े सामने आए, वे चौंकाने वाले थे। पता चला कि कई नाम और पते वाले लोग वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं, फिर भी उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है।
रिपोर्ट प्रकाश में आते ही निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि मतदाता सूची का तत्काल सत्यापन कराया जाए, ताकि केवल वास्तविक मतदाता ही सूची में बने रहें। जिला अधिकारियों ने सभी बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं।


क्या बोले राज्य निर्वाचन आयुक्त

राज्य निर्वाचन आयुक्त राजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया –
"होने वाले पंचायत चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस चुनाव में फेस रिकॉग्निशन सिस्टम और AI का इस्तेमाल किया जाएगा। फर्जी मतदाताओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अभी तक मतदाता सूची के निरीक्षण में करोड़ से अधिक संदिग्ध मतदाता मिले हैं, जिनका सत्यापन कराया जाएगा।"

कैसे बनते हैं मतदाता

किसी भी चुनाव में मतदान करने के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके किसी भी भारतीय को फॉर्म 6 भरकर मतदाता सूची में जुड़ना होता है।

•मतदाता बनने जा रहे भारतीय नागरिक को उसके मूल स्थान के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान का अधिकार प्राप्त होता है।

•एक मतदाता केवल एक ही स्थान से मतदान कर सकता है।

•निर्धारित मानदंड पूर्ण करने के बाद नागरिक को चुनाव में मतदान करने का अधिकार मिल जाता है।

•ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा ऑफलाइन भी मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया जा सकता है। इसके लिए फॉर्म 6 भरकर इच्छुक भारतीय नागरिक को यह प्रपत्र निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के कार्यालय या अपने बूथ लेवल अधिकारी के पास जमा करना होता है।

कैसे गर्म हुआ फर्जी मतदाताओं को लेकर मामला

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष ग्रहण पुनरीक्षण को लेकर मामला गरमा गया। इस जांच में चुनाव आयोग ने 65 लाख मतदाताओं का नाम हटाने का प्रस्ताव रखा, जिनमें –

•22 लाख मृतक,

•36 लाख स्थानांतरित, और

•7 लाख दोहरे पंजीकरण वाले नाम शामिल थे।

इस मामले को लेकर कांग्रेस और राजद जैसे विपक्षी दलों ने इसे "वोट चोरी" कहा और सड़कों पर उतरकर चक्का जाम तक किया। हालांकि, चुनाव आयोग ने अपना जवाब प्रस्तुत किया, लेकिन इसका असर उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग पर भी पड़ा।

राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची सुधार के लिए सघन अभियान छेड़ दिया है। आयोग का लक्ष्य है कि मतदाता सूची में केवल वास्तविक मतदाता ही शामिल रहें।





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