कश्मीर में एक गैर सरकारी एनजीओ द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार यहां 4056 ऐसी कब्र है जो अज्ञात लोगों की है। वैसे कब्र किसकी है इसके अंदर कौन दफन है इसकी पूरी जानकारी होती है लेकिन यह अज्ञात क़ब्र किसकी है ईशानी प्रशासनिक महक में हलचल सी मचा दी है। इस अध्याय के अनुसार 2000 से ज्यादा कब्रे विदेशी आतंकियों की थी इसके अलावा 1000 से ज्यादा कब्रे स्थानीय आतंकवादियों की है।
क्या है दावा
2018 से जारी इस अध्ययन में सीमावर्ती जी को बारामूला कुपवाड़ा बांदीपोरा और मध्य कश्मीर के गांदेरबल में हजारों कब्रो का निरीक्षण किया गया। इस अध्ययन का निष्कर्ष बताते हुए यानी एनजीओ ने जानकारी उपलब्ध कराई की 4000 से ज्यादा कब्रो में से 90 फ़ीसदी से ज्यादा कब्रे विदेशी या स्थानीय आतंकवादियों की है जिन्हें सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
कश्मीर के एक गैर सरकारी संगठन सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन द्वारा अंरेवलिंग द टूथ : 'ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ़ अनमार्क एंड अन आईडेंटिफाईइड ग्रेब्स इन कश्मीर' शीर्षक वाली रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।
क्या बोले फाउंडेशन के नेतृत्वकर्ता
फाउंडेशन का नेतृत्व कर रहे वजाहत फारुख भट्ट ने बताया -" लोगों द्वारा वित्त पोषित इस संगठन ने 2018 में अपनी परियोजना को शुरू किया था 2014 में हमारा जमीनी काम पूरा हो गया था पिछले एक साल से हम विभिन्न सरकारी कार्यालय के लिए अपनी रिपोर्ट को गहराई से तैयार कर रहे थे।इस रिपोर्ट के जरिए सीमा पार के उसे प्रोपेगेंडा को काउंटर करने में मदद मिलेगी जिसमें कहा जाता है कि इन अज्ञात कब्रो में आम लोगों को मार कर दफन किया गया है "
उन्होंने बताया कि उनकी पूरी टीम ने 4000 से ज्यादा कब्रो का दस्तावेजीकरण किया है, और यह किसी भी के द्वारा किए गए दावों से बिल्कुल अलग है। रिपोर्ट के अनुसार 2493 यानी लगभग 61.5% कब्रे विदेशी आतंकवादियों की थी जो सेना के अभियान में मारे गए थे, इनके पास से कोई पहचान पत्र नहीं मिला था इस वजह से यह अज्ञात की श्रेणी में आ गए। वही 1208 कब्रे कश्मीर के उन स्थानीय आतंकवादियों की है जो मुठभेड़ में मारे गए थे। संगठन के लोगों ने बताया कि स्थानीय आतंकवादियों के कब्रों की पहचान उनके परिजनों की स्वीकृति के बाद हुई है। 4000 से ज्यादा कब्रों में केवल ना कब्र है ऐसी मिली है जो निश्चित रूप से आम नागरिकों की है।
गैर सरकारी संगठन के इस अध्ययन ने उन दावों को खारिज कर दिया है जिसके द्वारा आम नागरिकों को यह बताया जाता था कि भारतीय सेवा ने अपनी कार्यवाही में तमाम आम नागरिकों को मारकर कब्र में दफन कर दिया है।
इस अध्ययन में 70 खबरें ऐसी भी मिली है जिनमें 1947 में भारत पर हमला करने वाले कबाइली हमलावर दफन है। वजाहत फारुख भट्ट ने बताया कि लोगों को यह जानकारी और स्पष्ट करने के लिए इन कब्रों के आधुनिक डीएनए जांच की जरूरत है। अगर फोरेंसिक जांच होती है तो यह जानकारी स्पष्ट रूप से सबके सामने आ जाएगी।
फाउंडेशन के मुताबिक इस अध्ययन में तमाम बातों का ध्यान रखा गया है। क्षेत्रीय लोगों से जानकारी ली गई है आसपास के समुदाय को साथ लेकर काम किया गया है मौलवी और ऑफर की मस्जिद समितियां की सदस्यों का सहयोग लिया गया है कब्र खोदने वाले स्थानीय आतंकवादियों के परिवार लापता लोगों के परिवार और स्थानीय प्रथाओं की जानकारी रखने वाले लोगों के इंटरव्यू भी शामिल है। इसके अलावा ऐसे लोगों से भी बातें की गई है जो पहले आतंकवादी रह चुके हैं और अब एक सामान्य नागरिक की तरह जीवन बिता रहे।
निष्कर्ष
गैर सरकारी संगठन द्वारा किया गया यह अध्ययन जमीनी जानकारी के आधार पर किया गया है और यह दशकों से चले आ रहे प्रोपेगेंडा को ध्वस्त करता है जिसमें यह हमेशा दावा किया गया की सुरक्षा बल कश्मीर में आम जनता को मार रहे हैं।