अनंत चतुर्दशी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और गणेश विसर्जन का महत्व


अनंत चतुर्दशी 2025


हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 6 सितंबर 2025 को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और हाथ में 14 गांठ वाला धागा (अनंत सूत्र) बांधा जाता है। इसी दिन 10 दिन से चल रहे गणेश उत्सव का समापन होता है और गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

क्या है अनंत चतुर्दशी की कथा

महाभारत के अनुसार, जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से व्रत किया और अनंत सूत्र धारण किया। व्रत के प्रभाव से उनका संकट दूर हो गया।

इसके अलावा, सतयुग से जुड़ी एक और कथा मिलती है। सुमंतु नामक मुनि ने अपनी पुत्री शीला का विवाह कौड़िन्य मुनि से किया था। एक बार शीला जब अपने मायके से ससुराल लौट रही थी, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां भगवान अनंत की पूजा करती हुई दिखाई दीं। शीला ने भी उनके साथ पूजा की और हाथ में अनंत सूत्र बांध लिया। थोड़े समय में यह दंपति धनवान हो गए।

लेकिन एक दिन कौड़िन्य मुनि को भ्रम हो गया और उन्होंने यह कहते हुए अनंत सूत्र अग्नि में फेंक दिया कि यह सफलता उनके परिश्रम से आई है, न कि सूत्र बांधने से। इसके बाद दंपति का जीवन संकटों से घिर गया। पछतावे में कौड़िन्य मुनि आत्महत्या करने वन में गए, जहां उन्हें ब्राह्मण रूप में भगवान अनंत मिले और आत्महत्या से रोका। भगवान ने उन्हें 14 वर्षों तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का आदेश दिया। व्रत करने से मुनि ने अपनी खोई हुई समृद्धि पुनः प्राप्त की।


गणेश प्रतिमा का विसर्जन

ग्रंथों में वर्णन है कि एक बार गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ने लगा। तापमान कम करने के लिए महर्षि वेदव्यास ने उन्हें जल में डुबकी लगाने को कहा। यह घटना अनंत चतुर्दशी के दिन हुई थी। तभी से इस दिन गणेश जी की प्रतिमा का जल में विसर्जन करने की परंपरा शुरू हुई।


किसने की परंपरा की शुरुआत

अंग्रेज़ों के शासनकाल में बाल गंगाधर तिलक ने गणेश विसर्जन के माध्यम से जनमानस को एकजुट करने और स्वतंत्रता आंदोलन को बल देने की योजना बनाई। उन्होंने ही गणेश उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की। हालांकि, इससे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज भी इस उत्सव को मनाते थे।

अनंत चतुर्दशी 2025 का शुभ मुहूर्त


प्रारंभ: 6 सितंबर 2025 सुबह 6:02 बजे

समाप्त: 7 सितंबर 2025 दोपहर 1:41 बजे

➡️ कुल अवधि: 19 घंटे 39 मिनट


शास्त्रों के अनुसार, यदि अनंत चतुर्दशी शनिवार को आए तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी शनिवार को पड़ रही है, इसलिए इसका महत्व और भी विशेष है।

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